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एक एकड़ ज़मीन से ४ लाख रूपये कमाएं

आजकल भारत के युवा नौकरी की तलाश में गाँव छोड़कर शहर की तरफ़ ज़्यादा रुख कर रहे हैं |  क्योंकि वह जानते हैं की अगर एक अच्छी ज़िन्दगी जीनी है तो एक अच्छी income की ज़रूरत पड़ती है जो कि खेती कर के नहीं कमाई जा सकती |  लेकिन आज हम एक ऐसे idea के बारे में बताने जा रहें हैं जिससे गाँव या परिवार छोड़े बिना अच्छी इनकम की जा सकती है  |  अगर आपके पास एक एकड़  ज़मीन है तो सालाना ४ से ५ लाख तक की कमाई की जा सकती है |  केले की खेती :       जैसा कि हम सभी जानते हैं , केला नुट्रिएंट्स से भरपूर एक ऐसा फल है जिसे लगभग हर इंसान पसंद करता है |ये भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में पाया जाने वाला फल है |  आज हम इसके खेती की बात करते हैं कि किस तरह इसकी उपज की जा सकती है और इससे मोटा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है |  खेत की तैयारी केले की खेती के लिए खेत को अच्छी तरह से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिये और बरसात से पहले यानी कि जून माह में १.५ -२ मीटर लम्बाई , चौड़ाई  के हिसाब से गड्ढे खोद लें तथा १५ दिन तक इसमें धूप लगने दें | फिर इसमें १२-१५ किलो कम्पोस्ट या सड़ी गोबर की

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बहुत प्यारी कविता।

होइगै मोर धरोहर गायब । चम्पा और चमेली गायब । फुलवन से ऊ खुश्बू गायब ॥ छोट छोट चीनी के आगे । बडी बडी गुड भेली गायब ॥ सरिया मह से धेनू गायब । माठा मह से नैनू गायब ॥ बडी बडी राइसमिल चलिगै  । काँडी जांत पहरुवा गायब खेतन से भय बरही गायब । ताले से भय नरई गायब ॥ घरे घरे अब नलका गडिगा । धन्न कुँवा पनिहारिन गायब ॥ रैन ना बोलै झींगुर गायब । जँगल मह से तीतिर गायब ॥ जब से रोटावेटर चलिगा । खेते मह से चीखुर गायब ॥ सगरे कै ऊ पानी गायब । नानी कै कहानी गायब ॥ जब से मिक्सर विक्सर चलिगा । सिल बट्टा कै चटनी गायब ॥ नदियां से भय नइया गायब । नइया कै खेवइया गायब ॥ अब कपार चढि कूकुर बइठे । सरिया मह से गइया गायब ॥ बाइस्कोप कै दुनिया गायब । जँघिया कै नचवइया गायब ॥ जब से आर केस्ट्रा चलिगा । बिरहा और बिरहिया गायब ॥ पँछी महै मटरिया गायब । मोरवा और मोरिनिया गायब ॥ खपडा से अब लिंटर परिगा । आँगन से गौरैया गायब ॥ गन्ना कै रस गोरस गायब । सतुवा और चबइना गायब ॥ जब से कोकाकोला चलिगा । माठा कै पियवइया गायब ॥ माटी वाली हण्डी गायब । डिहवा पर कै झण्डी गायब ॥ जब से गैस सिलेण्डर चलिगा । चू

Bill Gates ki story

किसी समय दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति बिल गेट्स से किसी न पूछा - क्या इस धरती पर आपसे भी अमीर कोई है ? बिल गेट्स ने जवाब दिया - हां, एक व्यक्ति इस दुनिया में मुझसे भी अमीर है. कौन ---!!!!! बिल गेट्स ने बताया - एक समय में जब मेरी प्रसिद्धि और अमीरी के दिन नहीं थे न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर था वहां सुबह सुबह अखबार देख कर, मैंने एक अखबार खरीदना चाहा पर मेरे पास खुदरा पैसे नहीं थे.. सो मैंने अखबार लेने का विचार त्याग कर उसे वापस रख दिया.. अखबार बेचने वाले काले लड़के ने मुझे देखा तो मैंने खुदरा पैसे सिक्के न होने की बात कही.. लड़के ने अखबार देते हुए कहा यह मैं आपको मुफ्त में देता हूँ.. बात आई-गई हो गई.. कोई तीन माह बाद संयोगवश उसी एयरपोर्ट पर मैं फिर उतरा और अखबार के लिए फिर मेरे पास सिक्के नहीं थे. उस लड़के ने मुझे फिर से अखबार दिया तो मैंने मना कर दिया. मैं ये नहीं ले सकता.. उस लड़के ने कहा आप इसे ले सकते हैं मैं इसे अपने प्रॉफिट के हिस्से से दे रहा हूँ.. मुझे नुकसान नहीं होगा. मैंने अखबार ले लिया...... 19 साल बाद अपने प्रसिद्ध हो जाने के बाद एक दिन मुझे उस लड़के की याद आयी और मैन उसे ढूंढना शुरू क

😁😂श्रीमती जी नाराज़ हो गई। मज़ेदार joke.😁😂

*और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं*  श्रीमती जी ने पूछा: "इस बार एनिवर्सरी पर क्या गिफ्ट दे रहे हो ?"  मैंने पूछा: " क्या एनिवर्सरी इसी महीने है ?"  *और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं*  😀😀😂😂 समझ ही नहीं आया क्या हुआ? *😀😀😂😂 श्रीमती जी ने कहा: "क्यों न आज बाहर खाना खाएं?" 😀😀😂😂 और मैंने खाने की टेबल बाहर बरामदे में लगा दी।  *और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं*  😀😀😂😂 पता नहीं क्या हुआ? 😀😀😂😂 श्रीमती जी ने कहा: "क्या इस साल मैं उम्मीद रखूं कि गर्मी की छुट्टियों में हम कहीं चलेंगे?"  मैंने कहा: "उम्मीद रखो। उम्मीद तो कभी छोड़नी नहीं चाहिए!"  *और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं*  😀😀😂😂 मैंने तो पॉज़िटिव रिप्लाई ही दिया था!! 😀😀😂😂  मैंने किताब में पढ़ा था पत्नी के खाने की तारीफ करो।  सो मैंने कहा: "तुमने आज बहुत बढ़िया सब्ज़ी बनाई है। आज कुछ अलग ही स्वाद है!"  *और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं*   😀😀😂😂(बिटिया ने बताया कि सब्ज़ी पड़ोस वाली आंटी दे गई थी।  अब मेरी क्या गलती थी? क्या मैं अंतर्यामी था?" 

New year ki kavita, रामधारी सिंह दिनकर की कविता।

*कुछ मित्रों ने अभी से नव वर्ष की अग्रिम शुभकामना की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है!!* इस परिप्रेक्ष्य मे मैं आप  सब के समक्ष राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह " दिनकर " जी की कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ। ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं!! है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं!! धरा ठिठुरती है सर्दी से आकाश में कोहरा गहरा है!! बाग़ बाज़ारों की सरहद पर सर्द हवा का पहरा है!! सूना है प्रकृति का आँगन कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं!! हर कोई है घर में दुबका हुआ नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं!! चंद मास अभी इंतज़ार करो!! निज मन में तनिक विचार करो!! नये साल "नया" कुछ हो तो सही!! क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही!! उल्लास मंद है जन -मन का आयी है अभी बहार नहीं!! ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं!! ये धुंध कुहासा छंटने दो!! रातों का राज्य सिमटने दो!! प्रकृति का रूप निखरने दो!! फागुन का रंग बिखरने दो!! प्रकृति दुल्हन का रूप धार जब स्नेह – सुधा बरसायेगी!! शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली लायेगी!! *तब "चैत्र शुक्ल&

Bhagwan ram aur krishna ki story

दो सुन्दर प्रसंग एक श्रीकृष्ण की और एक श्री राम की माखन चोरी का.... माखन चोर नटखट श्री कृष्ण को रंगे हाथों पकड़ने के लिये एक ग्वालिन ने एक अनोखी जुगत भिड़ाई। उसने माखन की मटकी के साथ एक घंटी बाँध दी, कि जैसे ही बाल कृष्ण माखन-मटकी को हाथ लगायेगा, घंटी बज उठेगी और मैं उसे रंगे हाथों पकड़ लूँगी। बाल कृष्ण अपने सखाओं के साथ दबे पाँव घर में घुसे। श्री दामा की दृष्टि तुरन्त घंटी पर पड़ गई और उन्होंने बाल कृष्ण को संकेत किया। बाल कृष्ण ने सभी को निश्चिंत रहने का संकेत करते हुये, घंटी से फुसफसाते हुये कहा:- "देखो घंटी, हम माखन चुरायेंगे, तुम बिल्कुल मत बजना" घंटी बोली "जैसी आज्ञा प्रभु, नहीं बजूँगी" बाल कृष्ण ने ख़ूब माखन चुराया अपने सखाओं को खिलाया - घंटी नहीं बजी। ख़ूब बंदरों को खिलाया - घंटी नहीं बजी। अंत में ज्यों हीं बाल कृष्ण ने माखन से भरा हाथ अपने मुँह से लगाया , त्यों ही घंटी बज उठी। घंटी की आवाज़ सुन कर ग्वालिन दौड़ी आई। ग्वाल बालों में भगदड़ मच गई। सारे भाग गये बस श्री कृष्ण पकड़ाई में आ गये। बाल कृष्ण बोले - "तनिक ठहर गोपी , तुझे जो सज़ा देनी है वो दे दीजो