आप को सपरिवार कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं *श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे,* *हे नाथ नारायण वासुदेवाय!!!* 🌹जय श्री कृष्णा 🌹 प्रेम का सागर लिखूं! या चेतना का चिंतन लिखूं! प्रीति की गागर लिखूं, या आत्मा का मंथन लिखूं! रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित, चाहे जितना लिखूं.... ज्ञानियों का गुंथन लिखूं , या गाय का ग्वाला लिखूं.. कंस के लिए विष लिखूं , या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं.... पृथ्वी का मानव लिखूं , या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूं। चेतना चिंतक लिखूं, या संतृप्त देवेश्वर लिखूं ।। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं.... जेल में जन्मा लिखूं , या गोकुल का पलना लिखूं। देवकी की गोदी लिखूं , या यशोदा का ललना लिखूं ।। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं.... गोपियों का प्रिय लिखूं, या राधा का प्रियतम लिखूं। रुक्मणि का श्री लिखूं या सत्यभामा का श्रीतम लिखूं।। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं.... देवकी का नंदन लिखूं, या यशोदा का लाल लिखूं। वासुदेव का तनय लिखूं, ...