सिक्किम: विश्व का पहला जैविक राज्य
अनाज इंसान की मुलभुत जरूरतों में से एक है. अनाज की पूर्ति के लिए 60 के दशक में हरित क्रांति लायी गयी और अधिक से अधिक अन्न उपजाने का नारा दिया गया. लेकिन हरित क्रांति ने जहा खाद्यान के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाया वही खेती में उर्वेरको और कीटनाशकों के अंधाधुन और असंतुलित इस्तेमाल भी शुरू हुआ. इससे उत्पादन बढ़ा पर धीरे-धीरे इंसान, पशु-पक्षियों, पानी और पर्यावरण पर इसके दुष्प्रभाव भी पड़ने शुरू हो गए. इन दुष्प्रभावों को रोकने के लिए जैविक खेती एक वरदान साबित हो रही है. यही वजह है की रासायनिक प्रदुषण से तंग आकर देश और विदेश के वैज्ञानिक जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए मार्च 2018 में जैविक खेती पोर्टल का शुभारम्भ किया. खेती-किसानी में इस पोर्टल से किसानो को काफी फायदा हो रहा है. सिक्किम दुनिया का पहला जैविक राज्य बन गया है. अंतरराष्ट्रीय मंचो से सिक्किम की इस पहल को सम्मान मिल रहा है.
जैविक खेती को लेकर दुनिया में मिसाल कायम करने वाले सिक्किम राज्य ने एक बार फिर से भारत का मान बढ़ाया है. संयुक्त राज्य की एजेंसी खाद्य और कृषि संगठन ने सिक्किम को सर्वश्रेष्ठ नीतियों का ऑस्कर पुरस्कार दिया है. यह सम्मान कृषि तंत्र और सतत खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है. 2003 में जैविक राज्य घोषित करने के संकल्प के 15 साल बाद 2016 में सिक्किम को पहला जैविक राज्य होने का सम्मान हासिल हुआ. सिक्किम भारत का पहला ऐसा राज्य है जहा की शत प्रतिशत खेती जैविक है. सिक्किम ने 25 देशो की 51 नामित नीतियों को पीछे छोड़ते हुए “सर्वश्रेष्ठ नीतियों का आस्कर” जीता. ब्राजील, डेनमार्क और इक्वेडोर की राजधानी क्यूटो की नीतियों ने रजत पदक जीता. ये पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन, वर्ल्ड फ्यूचर कॉउन्सिल और गैर लाभकारी संगठन IFOAM मिलकर देते है.
पुरस्कार आयोजकों के मुताबिक सिक्किम की जैविक नीतियों से 66 हजार किसानो को फायदा हुआ है और सिक्किम के 100% जैविक खेती वाला राज्य बनने से यहा का पर्यटन क्षेत्र भी काफी लाभान्वित हुआ है. 2014 से 2017 के बीच पर्यटन में 50% की वृद्धि देखी गयी है. खाद्य और कृषि संगठन का यह भी मानना है कि सिक्किम ने भारत के दूसरे राज्यों और अन्य देशो के लिए जैविक खेती में मिसाल पेश की है.
खाद्य और कृषि संगठन(FAO) ने सिक्किम की सराहना करते हुए कहा, “यह पुरस्कार भूख, गरीबी और पर्यावरणीय गिरावट के खिलाफ राजनितिक नेताओ की ओर से बनायीं गयी असाधारण नीतियों का सम्मान है. सिक्किम के अनुभव से यह पता चलता है कि 100 प्रतिशत जैविक खेती एक सपना नहीं है बल्कि वास्तविकता है.”
सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग के अनुसार, “सिक्किम को रासायनिक उर्वरको का इस्तेमाल ख़त्म कर जैविक कृषि अपनाने में एक दशक से ज्यादा का समय लगा. अपने पुराने अनुभव और जैविक खेती के साथ अपने जुड़ाव के साथ विश्वास के आधार पर कह सकता हूँ कि दुनिया भर में पूर्णतया जैविक कृषि संभव है. अगर हम सिक्किम में ऐसा कर सकते है तो कोई ऐसा कारण नहीं है कि दुनिया में दूसरी जगहो पर निति नियंता, किसान और सामुदायिक नेता ऐसा नहीं कर सकता.”
सिक्किम के जैविक राज्य बनने की कहानी
रासायनिक उर्वरको और कीटनाशकों को ख़त्म करने के साथ ही उनके स्थान पर स्थायी विकल्पों को अपनाने पर सिक्किम को 2016 में पहला जैविक राज्य घोषित किया गया था. 18 जनवरी 2016 के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गंगटोक एग्री सबमिट में इसकी घोषणा की थी.सिक्किम की जैविक कृषि में यह तक पहुंचने के कहानी 15 साल पहले शुरू होती है. सिक्किम ने 2003 में जैविक कृषि अपनाने की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी. उस वक़्त ऐसा करने वाला सिक्किम देश का पहला राज्य था. सिक्किम ने लम्बे समय तक मिट्टी की उर्वरकता बनाये रखने, पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण, स्वस्थ जीवन और हृदय सम्बन्धी खतरे को कम करने के मकसद से इस लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प लिया था. इससे पहले सिक्किम के किसान रासायनिक उर्वरको और कीटनाशकों का उपयोग करते थे लेकिन जब राज्य के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने 2003 में जैविक खेती अपनाने का ऐलान किया तो फिर धीरे-धीरे हालातो में बदलाव आया. इसके लिए सरकार ने अपनी कार्य योजना बनाई. पहले कदम में कृत्रिम कीटनाशकों और उर्वरको की बिक्री पर प्रतिबन्ध घोषित किया गया. इस कानून के उलंघन पर 1 लाख का जुर्माना तथा ३ महीने की कैद का प्रावधान किया गया. इतना ही नहीं सिक्किम राज्य जैविक बोर्ड का गठन हुआ और देश-विदेश से कई कृषि और शोध से जुडी संस्थाओ के साथ साझेदारी भी हुई.
जैविक खेती क्या है?
जैविक खेती, खेती करने की एक ऐसी पद्धति है जिसमे अनाज, साग-सब्जी और फलो को उगाने के लिए रासायनिक उर्वरको, कीटनाशकों और खरपतवार नाशको की जगह जीवाश्म खाद पोषक तत्वों अर्थात गोबर की खाद, कम्पोस्ट और हरी खाद, जीवाणु कल्चर, बायो-पेस्टीसाइड और जैविक खाद का उपयोग किया जाता है. जैविक खेती में हम कम्पोस्ट खाद के अलावा नाडेप, केचुवा खाद, नीम खली, लेमन ग्रास और फसल के अवशेषो को भी शामिल करते है.
जैविक खेती के फायदे
मिट्टी की उर्वरकता में बढ़ोतरीसूखे की समस्या से निजातमित्र कीटो का संरक्षणभू-जल स्तर में बढ़ोतरीपर्यावरण की रक्षाकृषि लागत में कमीउत्पादन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी
भारत में जैविक कृषि
मौजूदा वक़्त में भारत में 35 लाख हेक्टेअर जमीन पर जैविक खेती हो रही है. जिससे परंपरागत कृषि योजनाओ के जरिये 4 लाख किसानो को लाभ पंहुचा है. भारत के पूर्वोत्तर में 50,000 हेक्टेअर क्षेत्र कवर करने का लक्ष्य रखा गया है. अब तक 45,863 हेक्टेअर खेतो को बदला जा चुका है. इसके लिए 2,406 फॉर्मर इंट्रेस्ट ग्रुप का गठन कर लिया गया है. 44,064 किसानो को जैविक योजना से जोड़ा जा चुका है. साल 2016-17 में भारत से 3,09,767 टन जैविक उत्पादों का निर्यात हुआ जिससे देश को 2,479 करोड़ रूपये की विदेशी मुद्राए प्राप्त हुई.
आजादी के बाद हरित क्रांति ने खाद्य के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखाया था लेकिन सिमित संसाधनों ने कृषि पैदावार को कायम रखने के लिए रासायनिक खेती की जगह जैविक खेती पर खास जोर दिया जा रहा है. जैविक खेती से संसाधनों का संरक्षण ही नहीं बल्कि उत्पाद की गुणवत्ता भी काफी बेहतर हो जाती है. देश में जैविक खेती की सम्भावनाये तो बहुत है लेकिन असंगठित प्रणाली और वित्तीय सहायता पर्याप्त नहीं होने के कारण समस्याए भी बहुत ज्यादा है.
जैविक खेती में समस्याएं और संभावनाएं
जागरूकता में कमी, विपणन से जुडी समस्यासहायता के लिए अपर्याप्त सुविदाए और अधिक लागतकच्चे मॉल के विपणन की समस्यावित्तीय समर्थन का अभावनिर्यात की मांग को पूरा करने में अक्षमता
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